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भाजपा के प्रति जनता का आक्रोश
भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद एैसा पहली बार हो रहा है कि समूचे देश में भाजपा के केन्द्रिय नेताओं के पुतले फूंके जा रहे हैं। कांग्रेस से विमुख होने में व्यापारी को तीस वर्ष लगे। तीस वर्ष भाजपा से उत्पीड़न मुक्त व्यापार की प्रतीक्षा करते रहे परन्तु नितांत रूप से असफल रहे।
समाजवादी पार्टी ने व्यापारी की मूल मांगे चुंगी, आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3/7 इंस्पेक्टर राज को वेहिचक हटा दिया। देशी व्यापारीयों के अस्तित्व को कायम रखने के लिए खुदरा व्यापार में विदेशी निवेष प्रतिबंधित किया, वाणिज्य कर में बिना प्रीमियम 5 लाख का दुर्घटना बीमा दिया, 90% वेट वादो को ज्यों का त्यों स्वीकार कर लिया। उद्योगों को प्रोहोत्साहन देने के लिए नि:शुल्क प्रदर्शनी स्टाल, बाजार की प्रतिस्पर्धा से मुकाबला करने के लिए निर्यात में माल भाड़े की सरकारी धन से आपूर्ति, यूनिटों के उच्चीकृत के लिए ढाई लाख तक का अनुदान व बड़ी संख्या में सूक्ष्म लघु व मध्यम उद्योग खोलने के लिए भूमि सहित अनेक सुविधाएँ विकसित की हैं।
कुछ न करने के बावजूद सर्राफा व्यापारी भाजपा से आशा करते रहे कि केन्द्र में बहुमत की सरकार बनने पर यह पार्टी व्यापारीयों को खैरात बांटेगी परन्तु भाजपा ने अपने ही समर्थकों को बेरोजगारी की राह पर डाल कर बुरे दिन दिखा दिए।
दवा व्यापारी ड्रग्स एक्ट के अव्यवहारिक फार्मासिस्ट अनिवार्यता से पहले से ही दुखी है। अब सुना है कि उनकी नवीनीकरण फीस दस गुनी कर पेट पर लात मारने की तैयारी है।
इस वर्ष के बजट के बाद छात्र, व्यापारी, किसान, श्रमिक व महिलाएँ सभी तिष्कृत होकर भाजपा से पिंड छुड़ाने की सोचने लगे हैं।
अब भाजपा चारों तरफ से घिर जाने पर जनता को नारों से गुमराह रखना चाहती है परन्तु जनता जमीनी स्तर पर अच्छे दिन के लिए काम चाहती है। भाजपा का एक भी वादा पूरा नहीं हुआ।
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