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वर्ग या समाज पर समावेशी आरोप
एक टी.वी. चैनल पर नकली दवा के स्टिंग आपरेशन को दिखाने के तरीके से मेरठ के दवा कारोबारी आहात थे। नकली दवा के कारोबार को उपभोक्ता तो क्या दवा कारोबारी भी पसन्द नहीं करेगा। नैतिकता तो अपनी जगह कायम है उसके साथ पहली स्थिति तो यह कि पूरा व्यापारी समाज चोर, नकली की नीयत का नहीं होता। दूसरे व्यापार के गणित के हिसाब से सामान्य व्यापार खुला व अधिक वोल्यूम को होता है जबकि नकली का वोल्यूम कम व खतरे अधिक है फिर भी जो लोग कर रहे हैं, कठोर सजा व समाजिक वहिस्कृत के पात्र हैं। कोई भी भला आदमी अपने ड्राइंग रूम में थूकने की आदत या पर्दो से हाथ पौंछने वाले को बैठाना पसन्द नहीं करता। व्यापारी भी बाजार में नकली दवा बेचने वालों से दूर ही रहना चाहते हैं।
मंगलवार को चैनल पर स्टिंग दिखाये जाने से शासन के जांच हेतु कठोर आदेश सवभाविक थे। लिहाजा मेरठ में कई जिलों के औषधि निरीक्षक बुलाकर जांच की कार्यवाही आरम्भ कर दी गयी।
मेरठ के मुख्य दवा बाजार में समावेशी आरोपों से आहत व्यापारी दुकानें वेद कर खड़े हो गये। जानकारी मिलने पर मैंने पहुंच कर व्यापारीयों से बात की तथा चैनल के आरोपों को झूठा सिद्ध करने का उत्तम तरीका खुली जांच बताया। महौल पूरी तरह परिवर्तित था। दुकानदारों ने स्वंय को प्रस्तुत किया जिसके यहां से चाहे सैम्पल भरें। गाजियाबाद, बुलन्दशहर, सीतापुर व अन्य जिलों से बुलाए गये निरीक्षकों ने गुप्ता सूचनाओं के आधार पर या स्वंय विवेक से जहॉ-जहॉ से चाहे सैम्पल भरे। कार्यवाही की शुचिता बनी रहने के लिए जनपद के वरिष्ठ मजिस्ट्रेट {ए.डी.एम. स्तर} वहां मौजूद रहे। न पुलिस की आवश्यकता पड़ी न कोई विरोध हुआ। व्यापारीयों में ऐसी सच्चाई व हौसला वाकई भविष्य के लिए विश्वास की नई राहें खोलेगा।
चैनल संचालकों से बस इतना निवेदन है कि उन्होंने स्टिंग आपरेशन किया तो स्थान आदि की सूचना प्रशासन को देकर सार्वजनिक जीवन से खिलवाड़ करने वाले अपराधियों को पकड़वाने में मदद अवश्य करें। मेरठ के सभी व्यापारीयों को शंका की चादर से ढ़कने से क्षेत्र के व्यापार पर चोट पड़ती है।
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