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जी.एस.टी. से कर चोरी बढ़ेगी

gopal agarwal
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जी.एस.टी. से कर चोरी बढ़ेगी
मार्ग में पड़ने वाले टोल वैरियर की दर ऊंची हो अथवा वेरियर पर लम्बी लाइन लगे तो बहुत से लोग खेत पगडंडी का मार्ग पकड़ निकलने लगते है।
साधारण्तया तिपाहिया ओटो तीन सवारीयों के लिए है। दस रूपये सवारी का किराया तय है। पांच सात किलामीटर तीन सवारी बैठाकर ओटो तीस रूपये में पहुंचायेगा तो उसको बचत क्या होगी? इसलिए छ: सवारी बैठाना उसकी मजबूरी है। चलेगा तो छ: सवारी पर अन्यय चल ही नहीं सकता। बीस रूपये सवारी का किराया उसको मिल नहीं सकता। इक्का दुक्का होते हैं जो पचास रूपये देकर नान स्टाप सिंगल सवारी चलना पसन्द या हैसियत रखते हैं।
कर कानूनों की स्थिति भी यही है यदि नियमावली बहुत जटिल बना दी गयी तो व्यक्ति टैक्स चोरी के चैनल पर जाने के लिए अपने को सुगम मानने लगता है। इरादा चोरी का नहीं किन्तु झंझट से बचना उसकी प्राथमिकता में आ जाता है फिर जरा ढूंढने पर रिश्वत लेकर विभाग के अधिकारी भी सहयोग को तैयार हो जाते हैं। सभी अधिकारी ऐसे नहीं होते और सभी व्यापारी भी वैसे नहीं होते।
जी.एस.टी. वाकर्ड में बहुत क्लिष्ट है। फर्जी साबुन, तेल, क्रीम आदि के अतिश्योक्तिपूर्ण गुणों का चौपाईयां पढ़कर बिकवाना हो तो बड़े सेलेब्रिटी से गुणगान कराया जाता है। जी.एस.टी. में बड़े उद्योगपति संगठनों से तारीफ करा दी गयी। विदेशों में इसके सफलतापूर्वक संचालन की गाथाएं भी सुना दी गयी परन्तु यह नहीं बताया गया कि वहां नियम स्वंत अनुपालनीय है तथा नैटवर्किंग भी पूरी तरह से विकसित है। दूसरे वहां जी.एस.टी. का अर्थ सभी कर प्रणाली में एक टैक्स व्यवस्था से है।
बड़े उद्योगपतियों के संगठनों के सुर में ताल मिलाकर बोलना लघु उद्यमी संगठन अपना फैशन समझते हैं जबकि उन्हें ज्ञात है कि राष्ट्र में रोजगार सृजन में उनकी भूमिका बड़ी इंडस्ट्री से अधिक है। एस.एम.एस.ई. की समस्या अलग है उनके समक्ष पूंजी उपलब्धताओं में सौतेला व्यवहार होता है तथा नौकरशाही के लाल फीते उनके मार्ग में बाधा है। मैसर्स राधिका आदि से उजागर हुआ कि बड़े पूंजीपतियों पर पूंजी का रिजर्व पूल होता है जो सरकारी खाइयों पर तत्काल पुल बनाता चलता है।
जी.एस.टी. का प्रस्तावित प्रारूप मैंने देखा है। नियमावली मकड़ी के जाले की तरह है जिसमें फंसने या बच कर निकलने दोनों दशाओं में व्यापार तथा सरकारी राजस्व को क्षति होगी। इसलिए, केन्द्र सरकार स्पष्ट करें कि कर एकता के नाम पर कितने टैक्स एक हो रहे हैं तथा एकता का अर्थ एक टैक्स तथा एक असैसमेंट है या दो पंजीकरण तथा दो कर निर्धारण होंगे। क्या टैक्स तीन को एक कर चार भागों में विभाजित है।
राजस्व कम होने का असर आम जनता पर योजना कटौती में होगा। केन्द्र की वर्तमान सरकार ने पहले से ही राज्यों के योजना बजट में कटौती की हुई है।

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