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आज फिर वैश्य राजपूत चिनकारी को हवा दी गयी। भारतीय जनता पार्टी ने यह चिनगारी क्यों लगाई? नगर निगम मेरठ में मेयर भाजपा के हैं। ये कह नहीं सकते कि केन्द्रिय मंत्री जिस कार्य के लिए आ रहीं थीं उसके विषय में नगर निगम के रिकार्ड निकाल कर वास्तविकता न जानी गयी हो। विवाद उभारना प्रायोजित था।
भारत के महान पूर्वजों, पुरोधाओं, चिन्तकों व वैचारिक महापुरूषों में भाजपा सोच का कोई नहीं था। वैश्यों में महाराजा अग्रसैन से लेकर महात्मा गांधी- डा. लोहिया तक सभी समाजवादी व समावेशी विकास की सोच के रहे। कभी विभाजन की राजनीति नहीं करी। डा. लोहिया के बाद के विचारशील व्यक्तित्वों में सर्वश्री बद्रीविशाल पित्ती, अशोक सेक्सेरिया, रजनी कोठारी आदि प्रमुख रहे। राजनीतिक दल विचार धारा से चलते हैं, जो वैचारिक नहीं हैं वे मंडलीयों में मात्र मजीरे बजा रहे हैं। वैश्य समुदाय ने वैचारिक महापुरूष दिए। प्रसन्नता है कि उनमें से किसी को भी राजनीति में संप्रदाय की बैशाखियों का सहारा नहीं लेना पड़ा। समस्त समुदाय जानते हैं कि चिल्लाकर उत्तेजनात्मक बोल वही बोलता है जिसके पास न विचार होते है न डिलवरी की क्षमता। जिन्होनें दिया या दिलवाया वे शान्त स्वभाव के गम्भीर किंतु संर्घषशील व निर्भीक होते हैं।
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