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जातिगत कटुता पैदा करने का कुप्रयास
घातक हमले से पहले सुई चुभोकर पलटवार की सम्भावना आंकी जाती है। भाजपा ने एक साथ दो समाजों को पिन चुभोकर बवाल खड़ा कर लिया है। वैश्य व क्षत्रिय समाज का गौरवशाली इतिहास रहा है। सत्ता के मद में चूर भाजपा विभिन्न समाजों को आपस में लड़ाकर तमाशा देखना चाहती है।
पिछले तीन दशक से भारतीय जनता पार्टी वैश्य समाज को स्वर्णीम सपने दिखाते हुए वोट हासिल करती रही। परन्तु, समाज के लिए कहने मात्र भी कोई कार्य नहीं किया। कहना अच्छा नहीं लगता परन्तु यह तथ्य है कि भाजपा ने वैश्य समाज से सब्जी-पूरी बनवाकर विभिन्न कार्यक्रमों व मतदान के दिन बूथों पर बंटवाई।
अपनी गौरवशाली परम्परा के लिए क्षत्रिय समाज सुविख्यात है। यह अत्यन्त दुख की बात है कि स्वं. श्री कैलाश प्रकाश एवं स्वं. श्री अमर पाल सिंह के नाम पर भाजपा विवाद पैदा कर रही है। इतने बड़े भारत में नेताओं के नाम के स्मरण के लिए बहुत मार्ग व सस्थांन हैं। कदाचित भाजपा वैश्य समाज के निष्काम समर्थन को समाज की कमजोरी समझ राजनीतिक क्षेत्र में पुन: पतित घोषित कराने की कुंठित मानसिकता से ग्रस्त है। लक्ष्य अन्य दलों में भी वैश्य समाज को कमजोर दिखाकर राजनीतिक भागीदारी से दूर करने का हो सकता है परन्तु भाजपा की यह सोच सूर्य के आगे कागज का टुकड़ा लगाकर ढंक देने की अनुभूति जैसी ही होगी। हजारों वर्षों से देश के सम्मुख समय समय पर आए खतरों को वैश्य समाज ने चुनौती के रूप में लिया। आजादी की लड़ाई से लेकर स्वतन्त्र भारत तक वैश्य नैतृत्व ने स्वर्णीम अक्षरों में लिखने लायक कार्यों को बहादुरी से निष्पादित किया। पिन चुभोने की इस हरकत को वैश्य समाज याद रखेगा और चुनावों में माकुल जवाब देगा।
क्षत्रिय समाज की गौरव-गाथाओं के बारे में कुछ भी लिखना सूर्य को दीपक दीखाने जैसा है। भारत के अनेकों आद्वित्तीय सम्राट इस समाज से हुए है। कोई समय ऐसा नहीं आया जब चुनौतियां इस समाज की बहादुरी के सामने टिक पाई हों। परन्तु खेद है कि वर्तमान में भाजपा के मन में ऐसा विचार क्यूं आया कि वे इन समाजों के बीच टकराव पैदा करे। मैं चुनौती के साथ कह सकता हूं भाजपा लाख कोशिश करे, अतीत के गौरवशाली इतिहास की तरह वैश्यों और क्षत्रियों का भविष्य भी सदैव गौरवशाली रहेगा।
एक समाजवादी के रूप में तथा डा. राममनोहर लोहिया के सिद्धान्तों के अनुयायी के रूप में मैं जातिगत मामलों में सामाजिक टिपप्णी नहीं करना चाहता था परन्तु किसी भी समाज या वर्ग के साथ छेडखानी करना न तो राजनीतिक सूक्षबूक्ष है और न ही लोकतान्त्रिक व्यवस्था में इसकी अनुमति दी जा सकती है।
स्वं. श्री कैलाश प्रकाश जी उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय नेताओं में रहे हैं। 1977 में वर्तमान भाजपा की पूर्ववर्ती जनसंघ के कार्यकत्ताओं ने “कैलाश प्रकाश के जयघोष” के नारे के साथ भारी बहुमत से उन्हें लोक सभा में पहुंचाया था।
स्वं. श्री कैलाश प्रकाश जी जितने लोकप्रिय कांग्रेस पार्टी में रहे, प्रदेश में मंत्री रहे वैसे ही लोकप्रियता के स्तर पर गैर कांग्रेसी दलों ने उन्हें हाथों-हाथ लेकर लोक सभा भेजा था। मेरठ के विकास, शिक्षण संस्थानों, खेल संस्थानों की स्थापना में उनका बहुमूल योगदान सभ्यता के कायम रहने तक याद रहेगा।
स्वं. श्री अमर पाल सिंह जी भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गये तथा तीन बार सांसद बने। संसद में उन्होंने अनेकों ज्वलन्त मुद्दों पर चर्चा की तथा सहकारिता, किसानों, व्यापारियों व मजदूरों की हिमायत लेते हुए अनेकों बार प्रश्नन उठाये तथा मेरठ की समस्याओं पर पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया।
मैं नीतियों में भाजपा का समर्थक नहीं हूं, तथा इस प्रकार के किसी भी षडयंत्र की घोर निन्दा करता हूं जो सड़क के एक टुकड़े पर नामपट् की उठा पटक करे।
अच्छा हो कि केन्द्र सरकार मेरठ में दो बड़ी योजनाएं लाए तथा दोनों महान नेताओं के नाम से एक-एक योजना का नामकरण करे।
गोपाल अग्रवाल
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