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GAIL से अपील
गैस अथारिटी ऑफ इंडिया को तुरन्त संज्ञान लेना चाहिए। ताजमहल की चिंता आगरा से अमेरिका तक है। पहले विश्व में अग्रणी आगरा का डीजल इंजन व्यवसाय चौपट हुआ यद्यपि इसका सीधा लाभ एक भारतीय तथा दो-तीन बहुराष्ट्रीय कंपनीयों को हुआ। अब कोयले की भट्टी बंद कराने का अभियान है।
आगरा के पेठे व बूरा व्यवसाय में हजारों हजार लोग कुटीर उद्योग व मजदूरी के रूप में रोजगार पा रहे हैं। इनमें अति पिछड़े व पिछड़े समाज के व्यक्ति अधिक हैं जो मजदूरी करते हुए स्वंय का छोटा मोटा घरेलू उद्योग लगा पाये हैं।
यदि कोयला ही कारण है तो गैस अथारिटी के अधिकारीयों को तुरन्त इन उद्यमियों से संपर्क कर बैठक करनी चाहिए। कोयले की भट्टीयां बंद करने से पहले वैकल्पिक ईंधन का बंदोबस्त जरूरी है।
इसलिए गैस कंपनी संपर्क कर गैस आपूर्ति की गांरटी करे। यह बैठक कारखाने वालों के साथ पूर्व की तरह थाने में नहीं होनी चाहिए। इन कुटीर उद्यमियों एवं मजदूरों की अपनी बगीचीयां हैं। बगीची का अर्थ समृद्ध व्यक्तियों के बाग के रूप में नहीं है। वहां कम्यूनिटी सेन्टर को बगीची बोलते हैं जहां मजदूर रात्री विश्राम व नहाने धोने के दैनिक कार्य भी कर लेता है।
अभी कारखाने बंद होगें तो बेरोजगारी व कालान्तर में भुखमरी फैलेगी।
कारखानों को चलाने के लिए चार आवश्यकताएं हैं
1. स्थान :
2. विद्युत कनैक्शन :
3. ईंधन
4. कार्यस्थल के नजदीक कम्यूनिटी सेन्टर
इससे पहले भट्टीयां बंद करना अन्याय है।
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