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रेल का इंजन, यह बताया गया है कि आगे को ताकत के साथ हवा फैंकता है। जब गाड़ी प्लेटफार्म पर आती है तो पटरीयों पर पड़ा सूखा शोच इंजन की हवा से कणों के रूप में प्लेटफार्म पर उड़ आता है।
स्वच्छता प्रतीकात्मक रूप से जैसे विज्ञापनों, हाथ में झाडू लेकर फोटो खिचानें से नहीं आती, यह स्वास्थ्यपरक स्वच्छता होनी चाहिए। रेलों का संचालन भी मोदी जी की सरकार का हिस्सा है। प्लेट फार्म, स्टेशन की पटरियां व कोच अभी बहुत गंदे हैं।
वैसे स्वच्छता किसी पार्टी का नारा नहीं प्रत्येक जीवंत ईकाई के लिए आवश्यक है। यह नाले नालीयों से शुरू हो जिनके किनारे भारत के बच्चों की आधी आबादी खेलती है। सभी नदियां जो जीवन को जल देती हैं, हर सड़क, हर मौहल्ले व हर घर में सफाई हो। जिसमें स्वच्छता के प्रति संवेदना नहीं वह सेन्सेविल सिटीजन नहीं है। यह नारा नहीं, इस पर सभी को कार्य करना चाहिए।
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