gopal agarwal
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दुर्भाग्य है कि देश के प्रधानमंत्री अब भाग्य से देश चलाने की बात करने लगे हैं। लोकतन्त्र व सार्वजनिक जीवन में ऐसी बातें परिश्रम, सच्चाई, ईमानदारी, लगन, व निष्ठा को हतोत्साहित करेंगी तथा निठल्लेपन को बढ़ावा मिलेगा। यह गम्भीर बात है गहराई से सोचें।
जिन लोगों ने ऐन केन प्रकेन धन कमाया या गणेश परिक्रमा से या धन खर्च कर किसी पद पर पहुंचे वे अपने अन्दर का अपराध या कुंठा को छिपाने के लिए पूर्व काल से ऐसा कहते आए हैं।
कम से कम राष्ट्र के प्रधानमंत्री को अपने कार्य व वचन में परदर्शिता, कथनी करनी के भेद को मिटाने वाली जीवन शैली तथा प्रत्येक नागरिक को उसकी क्षमता से समान अवसर करने की व्यवस्था वाली प्राणाली देनी होगी तथा यह केवल दिखावे में नहीं वरन् पालन होते हुए भी दीखनी चाहिए।
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