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मेरे सामने बिजली विभाग का एक प्रकरण आया जिसमें विभाग के शुरूआती इंजीनियर ने उपभोक्ता को गुमराह कर मोटी रिश्वत मांगी is(पचपन हजार रूपये)। मैं कदम दर कदम चढ़ता गया तथा शुरूआती स्तर के ऊपर के दो इंजीनियर तक यही बताया गया कि तीन लाख का एस्टीमेट जमा होगा। दरअसल तीन लाख के एस्टीमेट का डर दिखाकर ही पचपन हजार रिश्वत मांगी जा रही थी। मैं और ऊपर के स्तर पर गया जहाँ ज्ञात हुआ कि सम्बन्धित प्रकरण में एस्टीमेट बनना ही नहीं था। उपभोक्ता को प्रबन्ध निदेशक स्तर पर राहत मिली।
इससे यह तो स्पष्ट है कि या तो अधिकारियों को नियम मालूम नहीं थे या पूरा का पूरा गिरोहबंदी का मामला है। दोनों ही अवस्थाऐं खतरनाक हैं।
साफ सुथरे भारत के लिए मेरा बिजली नियमों के ज्ञाता सभी व्यक्तियों तकनीकी अथवा गैर तकनीकी, वर्तमान व रिटायर्ड अधिकारी, सभी अपने चारों ओर के लोगों को सही जानकारी देकर शोषण होने से रोक दें तो यही बहुत बड़ी सेवा, भक्ति व परोपकार होगा। बाजार संघ अपने बाजारों में, कॉलोनियों में आवासीय कल्याण संगठन पार्कों में इसी प्रकार की ज्ञान कथाओं की धारा का प्रवाह आरम्भ कर दें। सत्य का उजागर ही सत्यनरायण की पूजा है। गांधी ने सत्यनरायण के साथ दरिद्रनरायण की सेवा करने को कहा था। आज सत्यनरायण की लोकहित में लोकनरायण के रूप में घर-घर में चर्चा हो। लोकनरायण लोकपाल से ऊपर का चिन्तन है।
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