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लोकतंत्र

gopal agarwal
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समाजवाद oव yksdलोकतंत्र मिल कर उसी प्रकार समभावी है जैसे सूरज व प्रकाश। सूरज है तो रोशनी होगी और समाजवाद है तो व्यवस्था लोकतांत्रिक ही होगी।

धूप और छांव की तरह ही लोकतंत्र की व्यवस्था है। यदि परछाई नहीं है तो समझो कि अन्धकार ही है। बिना लोकतंत्र के समावाद अधिनायकवाद सा दिखाई देता है।

इसलिए शासन व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए मजबूत विपक्ष सबसे आवश्यक शर्त है। तर्क संगत बहस, सत्ता पक्ष गुमराह करे तो अंकुश डाल कर पुन: विषय पर लाना, भ्रष्टाचार को उजाकर करने व जनता की दलीलों को लोकतांत्रिक संस्थाओं में रखना विपक्ष की पहचान है। डा० राममनोहर लोहिया ने अपने समय में सिद्ध किया कि देश में विपक्ष को जनता ने सत्ता पक्ष से अधिक सम्मान दिया।

विद्धान व बौद्धिक रूप से परिपक्कव विपक्ष तो संसद की बैठकों व सत्र को अधिक लम्बा चलवाना चाहेगा। वह संसद में रूकावट डाल कर बहस के मौके को क्यों गंवाना चाहेगा? कमजोर, भ्रष्ट व राष्ट्रीय गौरव से विमुक्त सरकार तो स्वयं संसद का सामना करने से डरती है। वह स्वयं चाहेगी कि सदन में हो-हल्ला होकर स्थगन हो जाय। भाजपा इसमें कांग्रेस की मदद कर रही है।

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