gopal agarwal
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अब तक मैं यह कहता रहा कि सूबे में दो पुलिस होनी चाहिए, एक जनता की जान माल की हिफाजत के लिए, दूसरी नेताओं व उनके परिवारों की देखरेख के लिए। परन्तु, अब तीसरी पुलिस की भी जरूरत है जो नेताओं के माफिया धन्धे के लिए गुंडों का कार्य कर सके। सुपारी लेकर हत्या करने वाले गुंडों के मुकाबले पुलिस यह काम सम्भवत: सस्ते में कर देती है। तीनों काम एक ही पुलिस से कराने पे असली जनता वाला काम पीछे रह जाता है।
गोपाल अग्रवाल
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