gopal agarwal
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बादल के टुकड़े आ जाने से सूर्य अस्त नहीं होता। महात्मा गाँधी का व्यक्तिव सूर्य के समान है। कोई अनर्गल बात कह-लिख देने से उनकी महानता पर खरोंच भी नहीं आयेगी। प्रतिबन्ध, दरअसल प्रचार का बेहूदा तरीका बन गया है। सभी जानते हैं कि रद्दी फिल्मों को चलवाने के लिए प्रतिबन्ध की मांग के ठेके छोड़े जाते हैं। अन्यथा ऐसी गन्दी व भद्दी किताब अश्लील साहित्य के ढेर में खो जाती।
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