gopal agarwal
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मैड़म आयीं, मैड़म आयीं
दीखे न कोई परछायीं
चप्पे-चप्पे वर्दी वाले
बल्ली पीछे भोले भाले
धड़कन थमे लगे जिसकी पुकार
किसी को फटका किसी को दुलार
थाना तहसील थे गुलजार
दस दिन से थमा था बाजार
उड़न खटोला गुर्र गुर्रे
बच्चे बोले हुर्र गुर्रे
काले झंडे कोई दिखाता
मुंह लटकाता कोई रह जाता
मैडम गयी मैडम गयी
सिस्टम को रूखसत कर गयी
फिर से मचेगी धमा चौकड़ी
ठगी रह गई बल्लू की खोपड़ी
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